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शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण

    प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण    

आज दिनांक 30-11-2012 की प्रार्थना सभा के मुख्य विवेचनीय अंश - 

1.समाचार दर्शन -

           कक्षा 12 वीं मानविकी संकाय के छात्र रवि कुमार के
                  द्वारा अन्तर्राष्टृीय,राष्टृीय,क्षेत्रीय एवम खेल समाचारों
                  का वाचन.

2.जीवन दर्शन - 

          कक्षा 11 वीं संकाय मानविकी की छात्रा सीता कुमारी
          द्वारा आदर्श पाठ वाचन किया गया.-
एक शहर में एक गरीब युवक रहता था.उसके मोहल्ले में सदैव रात्रि में अन्धेरा रहता था जिसके कारण रात्रि में आनें जानें वाले सभी लोगों को बहुत कठिनाइयों से दो चार होना पड़ता था. उस युवक नें स्वत स्फूर्त निर्णय लेते हुए अपनें घर के आगे एक बाँस गाढ़ कर उस पर एक लालटेन लगा दी जिसे संध्या होते ही वह रोशन कर देता था जिससे लाभ यह हुआ कि कम से कम गली का कुछ भाग रात में प्रकाशित रहनें लग गया. प्रारम्भ में कई मोहल्लेवालों नें उसकी हँसी उड़ाई, कई एक नें तो उसे मूर्ख करार दे दिया कि देखो खानें को अनाज के लाले पड़े है और महाशय चला है नगर में रोशनी करनें. परन्तु युवक नें एसी बातों की परवाह नहीं की. शीघ्र ही कई अन्य लोग भी उसकी तरह लालटेन जलानें लगे. यह बात जब नगर की प्रशासनिक कमेटी तक पहुँची तब नगर मेयर नें उस युवक को बुलाकर उसका सम्मान किया तथा उस मोहल्ले की प्रकाश व्यवस्था का दायित्तव नगर कमेटी नें अपनें ऊपर ले लिया. जब युवक से उसके विचार पुछे गए तो उसका जबाब था- अच्छे काम की शुरूआत के लिए हमें किसी अन्य की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए, अगर हम सब एक दूसरे पर भरोसा रखते हुए केवल पहल की प्रतीक्षा करेंगे तो वह कार्य कभी नहीं हो सकेगा. सत्य है हमें सदैव अच्छे काम को करनें को तैयार रहना चाहिए. यदि यह भावना देश के सभी नागरिकों में आ जाए तो भारत को विश्व गुरू का महान स्थान पानें में देरी नहीं लगेगी.

3.सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी - 

          कक्षा 11 वीं संकाय मानविकी की छात्रा सीता कुमारी 
          द्वारा ही आज के सामान्य सम्बन्धी प्रश्न पुछे गए - 
    1.कोटा राज्य की स्थापना किसनें की ?
    उत्तर - बूँदी के शासक समर सिंह के पुत्र जैत सिंह नें.
    2.भगवान मथुराधीष का मन्दिर कहाँ है ?
     उत्तर - कोटा में.
    3.राजस्थान में बौद्ध विहार कहाँ है ?
     उत्तर - कौलवी की गुफाएँ (जिला- झालावाड़)
    4.पंचायती राज व्यवस्था की मध्य ईकाइ कौनसी है ?
     उत्तर - पंचायत समिति.
    5.पंचायती राज व्यवस्था की सबसे बड़ी ईकाइ कौनसी है ?
     उत्तर - जिला परिषद.
    6.मानव शरीर की दूसरी बड़ी ग्रन्थि कौनसी है ?
     उत्तर - अग्नाशय ग्रन्थि.
    7.शरीर की कौनसी ग्रन्थि अन्त स्त्रावी तथा बहिर्स्त्रावी दोनों
      प्रकार की ग्रन्थि के रूप में कार्य करती है ?
     उत्तर - अग्नाशय ग्रन्थि.
   8.मधुमेह अथवा डायबीटिज में क्या होता है ?
    उत्तर - रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है.
   9.मधुमेह रोग का मुख्य कारण क्या है ?
    उत्तर - इन्सुलिन हारमोन की कमी.
  10.पंचायत समिति स्तर का मुखिया किस नाम से जाना जाता 
     है ?
    उत्तर - प्रधान.

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गुरुवार, 29 नवंबर 2012

प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण

    प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण

आज दिनाँक 29-11 2012 की प्रार्थना सभा के मुख्य विवेचनीय अंश - 
1.समवेत स्वरों में राष्टृगीत का गायन.
2.समाचार दर्शन -
                       आज की प्रार्थना सभा में समाचार दर्शन अंक में बीते 
                       दिवस एवम आज सुबह तक के राष्टृीय,अन्तर्राष्टृीय,
                       क्षेत्रीय एवम खेल समाचारों का वाचन कक्षा 11 वीं के
                       छात्र कृष्ण गोपाल के द्वारा किया गया.
3.जीवन दर्शन-  जीवन दर्शन के अन्तर्गत आदर्श पाठ वाचन कक्षा 12 
                      वीं की छात्रा कुमारी माया के द्वारा किया गया जिसमें
                     गुरू नानक के एक जीवन दृष्टाँत को प्रस्तुत किया गया.
4.सामान्य ज्ञान प्रश्नोंत्तरी -
                      कक्षा 11 वीं के छात्र द्वारा सामान्य ज्ञान के संदर्भ में
                      10 प्रश्न पूछे जिनका उल्लेख निम्न है -   
       1.राजस्थान में सूर्य मन्दिर कहाँ स्थित है
           उत्तर - ओसियां (जिला जोधपुर).
        2.करौली राज्य की स्थापना करनें वाला कौन था
           उत्तर - यदुवंशी शासक अर्जुन सिंह.
        3. मदनमोहन जी का मन्दिर कहाँ स्थित है
           उत्तर - करौली.
        4.राजस्थान का खजुराहो किसे कहा जाता है ?
          उत्तर - किराडू मन्दिर (जिला बाड़मेर).
        5. भारत में पंचायती राज व्यवस्था का प्रारम्भ कहाँ से हुआ ?
         उत्तर - 2 अक्टूबर 1959 नागौर से.
        6.पंचायती राज व्यवस्था कितनें स्तरों में विभक्त है ?
         उत्तर - त्रिस्तरीय अथवा तीन स्तरों में.
        7.मानव शरीर में भोजन का पाचन किस अंग द्वारा होता है ?
        उत्तर - छोटी आंत्र में.
       8.मानव शरीर की सबसे बड़ी ग्रन्थि कौनसी है ?
         उत्तर - यकृत अथवा लीवर.
       9.पंचायत राज व्यवस्था का निम्नतम स्तर कौनसा है ?
         उत्तर - ग्राम पंचायत
      10.जहर खानें से मृत हो जानें वाले व्यक्ति के किस अंग की जाँच की जाती है ?
        उत्तर - लीवर या यकृत की.

बुधवार, 28 नवंबर 2012

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास कीगाथा

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास कीगाथा(F)

       शैक्षिक सत्र 1931-32 से सत्र 1937-38 तक शाला स्टॅाफ 

 प्राप्त रिकॅार्ड के अनुसार शाला का प्रथम वैधानिक सत्र 1931 प्रथम जुलाई से प्रारम्भ माना जा सकता है. सत्रारम्भ से पूर्व ही जिला शिक्षणालय नागौर से श्री मेघराज जी शर्मा की नियुक्ति प्रथम अध्यापक के रूप में हो चुकी थी, जिन्हें हम पाठशाला के प्रथम अध्यापक के रूप में स्वीकार कर सकते हैं. 1931 से लेकर 1937 तक पाठशाला की सम्पूर्ण शैक्षिक एवम सह शैक्षिक गतिविधियों का सम्पूर्ण संचालन,संपादन,नियंत्रण एवम निष्पादन उन्हीं के ऊपर आधारित रहा. रिकॅार्ड बुक से आप श्रीमान का मुकाम निवास के बारे में तो कोई जानकारी प्राप्त नहीं होती है तथापि उनके मासिक वेतन का उल्लेख अवश्य प्राप्त होता है जो कि 32/- अक्षरे बत्तीस रूपए मासिक था. 1951 में नए निर्मित किए गए शाला भवन के समय मजदूरी पर गए कई वृद्ध सज्जन बताते हैं कि उन्हें प्रतिदिन की मजदूरी स्वरूप चार से आठ आनें मिलते थे जो उनका संतोषजनक मेहनताना था. अस्तु हम 1931-32 में 32 रूपए मासिक वेतन का महत्तव भलीभाँति समझ सकते हैं.
                 1936 अगस्त में पाठशाला में द्वितीय अध्यापक की नियुक्ति हुई. जिला शिक्षणालय नागौर के द्वारा श्री कृष्ण शर्मा पुत्र श्री गंगा राम शर्मा को सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया जिनका मासिक वेतन 28 /- अक्षरे अठ्ठाईस रूपए लिखा हुआ है. इनके मुकाम का उल्लेख नहीं मिला है. सत्र 1937-1938 के प्रारम्भ होनें के बाद श्री मेघराज शर्मा का स्थानान्तरण अन्यत्र हो गया. परन्तु अगस्त 1937 में दो नए अध्यापकों को शाला में नियुक्त किया गया. श्री मूलराज जिनका वेतन 20/- अक्षरे बीस रूपए मासिक लिखा हुआ है तथा दूसरे अध्यापक हनुमान दत्त पुत्र श्री बाल राम थे जिनका मासिक वेतन 32/- अश्क्षरे बत्तीस रूपए था. पूर्व से नियुक्त श्री कृष्ण शर्मा को मुख्य अध्यापक पद नाम से उल्लेखित किया गया है जो निश्चित रूप से प्रधानाध्यापक का पद रहा होगा तथा नव नियुक्त दोनों अध्यापक सहायक अध्यापक पद उपाख्य से रिकॅार्ड बुक में उल्लेखित किए गए हैं.
अस्तु 1937-38 का शाला स्टॅाफ यों लिखा जा सकता है - 
    1.प्रधानाध्यापक - श्री कृष्ण शर्मा पुत्र श्री गंगा राम शर्मा.
    2.सहायक अध्यापक - अ. श्री मूल राज.
                                  ब. श्री हनुमान दत्त पुत्र श्री बालु राम. 
उस समय प्रधानाध्यापक एवम सहायक अध्यापक पद के लिए आवश्यक अर्हताएँ, योग्यताएँ,नियुक्ति की प्रक्रिया तथा वेतन निर्धारण किस प्रकार होता था इसकी जानकारी का कोई स्त्रोत कम से कम विध्यालय ा रिकॅार्ड तो नहीं है परन्तु यह जानकारी सम्भवतया जिला शिक्षा अधिकारी नागौर के पास संरक्षित रिकॅार्ड में मिल सकती है अन्यथा जोधपुर रियासत की तत्कालीन बहियों से ही यह तथ्य संकलन हो सकता है.
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गुरु नानक जयंती

                गुरू नानक जयंती

श्री गुरु नानकदेवजी ने दुनिया को सर्व ईश्वरवाद का संदेश दिया, जिससे वह सभी भाव और सत्य फलित होते हैं, जिनके साथ मानव की प्रगति और कल्याण अनिवार्यतः जुड़ा हुआ है. श्री गुरुनानक देवजी एक युगांतकारी युग दृष्टा, महान दार्शनिक चिंतक, क्रांतिकारी समाज सुधारक थे। उनका दर्शन, मानवतावादी दर्शन था। उनका चिंतन धर्म एवं नैतिकता के सत्य, शाश्वत मूल्यों का मूल था, इसलिए उन्होंने संपूर्ण संसार के प्राणियों में मजहबों, वर्णों, जातियों आदि से ऊपर उठकर एकात्मकता का दिव्य संदेश देते हुए अमृतमयी ईश्वरीय उपदेशों से विभिन्न आध्यात्मिक दृष्टिकोणों के बीच सर्जनात्मक समन्वय उत्पन्न किया.साथ ही विभिन्न संकुचित धार्मिक दायरों से लोगों को मुक्त कर उनमें आध्यात्मिक मानवतावाद और विश्वबंधुत्व के बीच अनिवार्य संबंध की आवश्यकता का सरल, सहज मार्ग प्रशस्त किया . 

                             संयोगवश उनका जन्म और बचपन ननकाना साहिब की उस धरती के साथ जुड़ा है, जहां हिन्दू और मुस्लिम संप्रदायों के आम लोग रहते थे और ज्ञानी सज्जन भी . जहां आम लोगों नें नानकजी के जीवन की गति और समस्याओं को नजदीक से देखा, वहां ज्ञानी लोगों से ज्ञान की ज्योति प्राप्त की। इस लौ को उन्होंने अपने अंदर के ईंधन से इतना प्रज्वलित कर लिया कि वह एक महाप्रकाश में परिवर्तित हो गई .

                           पिता कालू जब नानकजी को व्यापार करने के लिए प्रेरित करते हैं तो बेटा सारी राशि साधुजनों की सेवा में लगा देता है. संसारी जीव लुटा अनुभव करता है, लेकिन करतारी जीव की नजर में यही 'सच्चा सौदा' है . बहनोई के घर रहते और दौलत खां की नौकरी करते भी कुछ ऐसा ही घटता है . श्री गुरु नानकदेवजी दुनिया को एक नया संदेश देने के लिए अवतरित हुए थे . उन्होंने सर्व ईश्वरवाद का संदेश दिया, जिससे वह सभी भाव और सत्य फलित होते हैं, जिनके साथ मानव की प्रगति और कल्याण अनिवार्यतः जुड़ा हुआ है . उनके द्वारा चलाया गया मिशन प्रेम, समानता और भ्रातृत्व की भावना से पूर्ण एक सार्वभौमिक अनुशासन है। यह मनुष्य को इस प्रकार सोचने-बोलने और कर्म करने अर्थात जीवन जीने की प्रेरणा देता है कि कथनी और करनी के बीच द्वैत समाप्त हो जाए .

                        गुरु नानकदेवजी द्वारा प्रस्तुत धर्म की इस विस्तृत धारणा के उपदेश में मनुष्य, तुच्छ बातों के बंधन से मुक्त होकर, सार्वभौमिक प्रेम, विश्व बंधुत्व अर्थात ससीम से मुक्त होकर असीम की ओर अग्रसर होता है . इसलिए समानता का नारा देते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर हमारा पिता है और हम सब उसके बच्चे हैं और पिता की निगाह में छोटा-बड़ा कोई नहीं है . वही हमें पैदा करता है और वही हमारा भरण-पोषण भी. हरिद्वार में जाकर उन्होंने साबित किया कि अगर यहां का पानी करतारपुर के खेतों में नहीं पहुंच सकता तो पितरों तक भी नहीं पहुंचेगा . पवित्र मक्का शरीफ में जाकर भी यही समझाना चाहते थे कि खुदा हर जगह होता है, किसी एक जगह पर नहीं . हमें नानकजी को सिर्फ श्रद्धा से ही नहीं, चिंतन से भी याद करना चाहिए, क्योंकि आज भी हम उसी कर्मकांड, भेदभाव, तथाकथित मर्यादा, पाखंड तथा निष्क्रियता के शिकार हैं, जिनका गुरुजी ने बहिष्कार किया था .

               
               गुरु नानक देव के दोहे

            एक ओंकार सतिनाम, करता पुरखु निरभऊ।
         निरबैर, अकाल मूरति, अजूनी, सैभं गुर प्रसादि ।।

          हुकमी उत्तम नीचु हुकमि लिखित दुखसुख पाई अहि।
          इकना हुकमी बक्शीस इकि हुकमी सदा भवाई अहि ।।

                 सालाही सालाही एती सुरति न पाइया।
               नदिआ अते वाह पवहि समुंदि न जाणी अहि ।।

                 पवणु गुरु पानी पिता माता धरति महतु।
               दिवस रात दुई दाई दाइआ खेले सगलु जगतु ।।

                       ***********

                      हरि बिनु तेरो को न सहाई।
              काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई ।


              धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई।
              तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा ताहि लपटाई ।।

            दीन दयाल सदा दु:ख-भंजन, ता सिउ रुचि न बढाई।
            नानक कहत जगत सभ मिथिआ, ज्यों सुपना रैनाई ।।

                        *****************  

                       जगत में झूठी देखी प्रीत।
             अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत ।।

             मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत।
            अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत ।।

            मन मूरख अजहूँ नहिं समुझत, सिख दै हारयो नीत।
             नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत ।।


मंगलवार, 27 नवंबर 2012

प्रथम पाठशाला भवन

                           प्रथम पाठशाला भवन 

RIGHT  PORTION OF BUILDING
LEFT PORTION OF BUILDING
MIDDLE ROOM FOR WARDEN
THE BOARD  ABOUT DONER
BUILDING SEEN FROM DIDWANA ROAD




शनिवार, 24 नवंबर 2012

विध्यालय अवकाश सूचना

            अवकाश सम्बन्धी सूचना 

विध्यालय में कल दिनाँक 25 नवम्बर से 28 नवम्बर तक चार दिवसीय अवकाश रहेगा. अवकाशों का विवरण निम्नानुसार है --
  1.25 नवम्बर - रविवार एवम मुहर्रम अवकाश.
  2.26 नवम्बर - राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन अवकाश.
  3.27 नवम्बर - राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन अवकाश.
  4.28 नवम्बर - गुरू नानक जयंती अवकाश.
विध्यालय अगले कार्य दिवस पर यथावत खुलेगा.
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प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण

दिनाँक 23-11-2012 की प्रार्थना सभा  

  आज की प्रार्थना सभा के प्रमुख विवेचनीय अंश --

1.समाचार दर्शन - कक्षा 11 वीं मानविकी संकाय के छात्र दिनेश कुमार
   द्वारा दैनिक समाचार दर्शन का वाचन.
2.जीवन दर्शन - कक्षा 12 वीं मानविकी संकाय के छात्र रवि कुमार के 
   द्वारा जीवन दर्शन पाठ वाचन के क्रम में व्यक्ति परिचय प्रस्तुत 
   किया गया जो मलाला युसुफजई के बारे में था.---
आज के जीवन दर्शन में प्रस्तुत है व्यक्ति परिचय. मन की ईच्छा शक्ति जब आत्म शक्ति के साथ जुड़ जाती है तब वह जीवन शक्ति बन जाती है.जिसकी प्राप्ति के पश्चात मानव जीवन की किसी भी बाधा पर विजय श्री प्राप्त कर सकता है.इसका ताजा उदाहरण है पाकिस्तान के उत्तरी पश्चिमी प्रांत के खैबर पख्तुनवा जिला जो स्वात घाटी क्षेत्र में पड़ता है के गाँव मीनगोरा के पश्तो पठानी परिवार की 14 वर्षीय बालिका मलाला य़ुसुफजई. मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 को हुआ था. वह अपनें माता पिता तथा दो भाइयों के साथ रहती है. स्कूल में प्रवेश दिलवा कर मलाला को शिक्षा प्राप्ति के पश्चात उसके पिता उसे राजनीति में जौहर दिखानें की आकांक्षा रख रहे थे वहीं मलाला डॅाक्टर बन कर अपनें क्षेत्र के जन समुदाय की सेवा का मानस रखती थी. वास्तव में पिता पुत्री दोनों अपनी अपनी जगह सही थे.दर असल स्वात घाटी का यह क्षेत्र दुर्दांत तालिबानियों के प्रभुत्व वाला क्षेत्र है जिनके समक्ष प्राय पाक पुलिस तथा सेना की विवशता देखी गयी है.मीनगोरा गाँव में मौलाना फजलुल्लाह इन सिरफिरे धर्मान्धों की गतिविधियों को चलाता है. 15 जनवरी 2009 में उसनें बालिका शिक्षा को इस्लाम विरोधी होनें का फतवा देकर बालिकाओं का स्कल जाना बंद करवा दिया.मलाला इसके विरोध में बी.बी.सी. के ब्लॅाग को माध्यम बना कर अपनी आवाज तालिबान के खिलाफ उठानी प्रारम्भ कर दी. इससे पूर्व मलाला सितम्बर 2008 में जब वह मात्र 11 वर्ष की थी तब अपनें पिता जियाऊद्दीन युसुफजई के साथ पेशावर के प्रेस क्लब में आयोजित एक शैक्षिक सम्मेलन में महिला शिक्षा के अधिकार की माँग बुलँद कर चुकी थी. मलाला तब से ही तालिबान की आँख की किरकिरी बन चुकी थी. 2010 के प्रारम्भ में फजलुल्लाह नें स्वात घाटी क्षेत्र में गीत संगीत,टेलीविजन,बालिका शिक्षा तथा महिलाओं द्वारा बाजार में की जानें वाली खरीददारी पर पाबन्दी लगा दी.तब मलाला नें एक छद्म नाम से बी.बी.सी. संवाद दाता को साक्षात्कार दिया तथा कई अन्य चैनलों के माध्यम से तालिबान के इस काले आदेश का विरोध जारी रखा. तालिबान के उक्त आदेश के बाद स्वात घाटी के 100 से भी ज्यादा स्कूल बंद कर दिए गए जनमें मलाला का स्कूल भी सम्मिलित था. तालिबान इतनें से ही संतुष्ठ नहीं हुआ,कई सकूल्स भवनों पर बुलडोजर फिरवा कर उन्हें ध्वंसित कर दिया गया. इसी मध्य बिशप डेसनंड टूटू नें मलाला का नाम अंतर्राष्टृीय बाल शाँति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया वहीं पाक सरकार नें राष्टृीय बाल शाँति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.मलाला नें फेसबुक के माध्यम से तालिबानियों का विरोध जारी रखा.अंतत मलाला पर 9 अक्टूबर 2012 को जब अपनी दो सहपाठियों कायनात रियाज तथा शाजिया रमजान के साथ परीक्षा देकर जब स्वात से अपनें गाँव लौट रही थी तब बीच रास्ते बस को रुकवा कर 3,4 तालिबानी दुर्दान्तों नें कौन है मलाला कहते हुए अंधाधुँध गोलीबारी प्रारम्भ कर दी. सिर,गर्दन तथा कन्धें पर गोलियाँ दाग दी जिससे मलाला लगभग मौत के मुँह में जा चुकी थी, उसकी दोनों सीथिनें भी घायल हो गई.मलाला को तुरंत पेशावर के आर्मी अस्पताल में ले जाया गया. बेशर्म तालिबान नें खुल कर इस कुकृत्य की जिम्मेदारी ले ली. गंभीर हालात में कौमा में जा चुकी मलाला को विमान से रावलपिंडी लाया गया. वहाँ शरीर के अन्य अंगों में लगी गोलियाँ तो निकाल दी गई परन्तु खोपड़ी को चीर कर मस्तिष्क में धँस चुकी गोली को निकालना एक जटिल आपरेशन था.विश्व के कई देशों नें उपचार हेतु मदद करनें के प्रस्ताव भेजे.जब मलाला के बचनें के चाँस मात्र 1 से 5 प्रतिशत रह गए तब यू.ऐ.ई. द्वारा उपलब्ध करवाएं गए विशेष विमान से वेटिंलेटर पर लेटी मलाला को इंग्लैंड के बर्मंघम नगर स्थित महारानी एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती करवाया गया. डॅाक्टर रोजर के नेतृत्व में किए गए लम्बे और गहन आपरेशन के पश्चात मस्तिष्क की गोली भी निकाल दे दी गई. सुखद बात यह रही की मलाला देखनें,सुननें में सक्षम हो गई. 26 अक्टूबर को मलाला चमत्कारिक रूप से होश में आ गयी.मलाला अभी भी ऊपचाराधीन है.मलाला नारी शक्ति के प्रतीक रूप में सम्पूर्ण विश्व में सितारा बन कर चमक उठी. इसके बाद मलाला की प्रशस्ति में पाक सरकार तथा UNO नें कई घोषणाएँ की है--
      1.स्वात में मलाला के नाम से डिग्री कॅालेज खोले जानें की 
        घोषणा की गई है.
     2.पाक सरकार नें मलाला को वीरता के सर्वोच्च अवार्ड सितारा 
       -ए-शुजात से नवाजा है.
    3.कराची में एक विध्यालय तथा कॅालेज का नाम मलाला के
      से किए जानें की घोषणा की गई है. 
    4.UNO तथा UNICEF नें मैं हूँ मलाला के नाम से एक वर्ल्ड वाईड
       कार्यक्रम बनाकर 2015 तक विश्व के सभी राष्टृों की बालिकाओं
       को स्कूलों से जोड़नें का एक विशेष अभियान बना कर व्यापक
       स्तर पर कार्य किया जाएगा.
   5. UNO नें प्रतिवर्ष 10 नवम्बर को बालिका शिक्षा  के संदर्भ में
      मलाला दिवस के रूप में मनाए जानें की घोषणा की है.
सत्य है वीरता दृढ़ता,सत्यता एवम सच्ची लगन सदैव विजय श्री प्रप्त करती है.     
   

 

प्रार्थना सभा के नित्य कार्यक्रमों का विवरण

               दिनाँक 22-11-2012 की प्रार्थना सभा  

  आज की प्रार्थना सभा के प्रमुख विवेचनीय अंश --

1.समाचार दर्शन - कक्षा 11 वीं मानविकी संकाय के छात्र दिनेश कुमार
   द्वारा दैनिक समाचार दर्शन का वाचन.
2.जीवन दर्शन - प्रति दिवस जीवन दर्शन के अन्तर्गत किया जानें वाला 
   आदर्श जीवन पाठ स्थगित रखा गया. आज का समाचार दर्शन कसाब 
   की फाँसी के पश्चात देश विदेश की प्रतिक्रियाओं तद् अनुसार उनकी 
   समीक्षा के कारण लगभग 10 मिनट की अवधि का हो जानें के कारण
   जीवन दर्शन आदर्श पाठ वाचन स्थगित कर दिया गया.
3.सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी - कक्षा 11 वीं मानविकी संकाय के छात्र 
    मनीष कुमार द्वारा सामान्य ज्ञान से सम्बन्धित निम्न 10 प्रश्नों
    को पुछा गया- 
   1.जगत शिरोमणि देवी का मन्दिर कहाँ स्थित है ?
     उत्तर - आमेर में.
   2.झीलों की नगरी किस नगर का प्रसिद्ध नाम है ?
     उत्तर - उदयपुर.
   3.सहेलियों की बाड़ी स्थल किस नगर में है ?
     उत्तर - उदयपुर में.
   4.केसरिया नाथ जी का मन्दिर कहाँ स्थित है ?
     उत्तर - उदयपुर में.
   5.राजस्थान में कुल कितनी ग्राम पंचायतें हैं ?
     उत्तर - 9184.
   6.राजस्थान में कुल कितनी पंचायत समितियां है ?
     उत्तर - 239.
   7.राजस्थान में कुल कितनी जिला परिषदें है ?
     उत्तर - 33.
   8.मानव रक्त को कितनें वर्गों में बाँटा गया है ?
     उत्तर - चार वर्गों में -
   9.कौनसा रूधिर वर्ग सर्वदाता है ?
     उत्तर - 
  10.कौनसा रूधिर वर्ग सर्वग्राही है ?
     उत्तर -     
3.प्रतिज्ञा का वाचन - 12 वीं मानविकी संकाय के छात्र रवि कुमार के
   नेतृत्व में सभी विध्यार्थियों नें वाचन कर प्रतिज्ञा को दोहराया.
4.समवेत स्वर में राष्टृ गान का गायन.
   जय हिंद के उद्घोष के पश्चात सभी का कक्षाओं में प्रस्थान.
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शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

विध्यालय परिवार में नए सदस्य का आगमन

   विध्यालय में वाणिज्य व्याख्याता का पदास्थापन 

निदेशक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक, शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार, बीकानेर द्वारा जारी नव व्याख्याता पदस्थापन सूची के अनुसार श्री गिरधारी लाल पुत्र श्री सूरज मल स्वामी, ग्राम -रामपुरिया,पोस्ट मीठड़ी की नियुक्ति वाणिज्य संकाय के व्याख्याता पद पर कर दी गई है. ज्ञात रहे गिरधारी लाल हमारे इसी विध्यालय का मेधावी छात्र रहा है.गिरधारी लाल नें कक्षा 6 से 12 वीं तक अपना संपूर्ण अध्ययन इसी विध्यालय में ही किया था. बोर्ड परीक्षा 12 वीं वाणिज्य संकाय 2002 के अलावा पिछली सभी कक्षाओं में सदैव प्रथम श्रेणी ही प्राप्त कर अपनी योग्यता पहले ही दर्शा दी थी. विध्यालय परिवार आज अपनें ही पूर्व छात्र का सुस्वागतम करता है, जो एक नवीन भूमिका एवम दायित्वों के साथ शाला में प्रवेश ले रहा है. साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य़ की कामना करता है.==