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शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

भारत में शिक्षा का विकास

राधा कृष्ण आयोग

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन 1948 ई. मे किया गया। आयोग को विश्वविद्यालय शिक्षा पर अपनी रिपोर्ट देनी थी। अगस्त, 1949 ई. में आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया।
मुख्य सिफारिशें-
शिक्षा से सम्बन्धित आयोग
आयोग वर्ष गवर्नर-जनरल
वुड का घोषणा पत्र 1854 ई. लॉर्ड डलहौज़ी
हन्टर शिक्षा आयोग 1882-1883 ई. लॉर्ड रिपन
सैडलर आयोग 1917-1918 ई. लॉर्ड चेम्सफ़ोर्ड
हार्टोग समिति 1929 ई. लॉर्ड इरविन
सार्जेण्ट योजना 1944 ई. लॉर्ड वेवेल
राधाकृष्णन आयोग 1948 ई. लॉर्ड माउण्ट बेटन
  • विश्वविद्यालय पूर्व 12 वर्ष का अध्ययन।
  • विश्वविद्यालय में कम से कम 180 दिन की पढ़ाई हो। यह समय 11-11 सप्ताहों के तीन भागों में बंटा होना चाहिए।
  • प्रशासनिक सेवाओं के लिए विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि आवश्यक नहीं है।
  • शिक्षा को समवर्ती सूची में रखने का सुझाव।
  • उच्च शिक्षा के तीन मुख्य उद्देश्य- सामान्य शिक्षण, संस्कारी शिक्षण और व्यावसयिक शिक्षण हों।
  • कृषि, वाणिज्य, विद्या, अभियान्त्रिकी तथा प्राविधिक और आयुर्ज्ञान पर अधिक बल होना चाहिए।
  • विश्वविद्यालय की देख-रेख हेतु 'विश्वविद्यालय अनुदान आयोग' की स्थापना की जानी चाहिए।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.)

1953 ई. में राधाकृष्णन आयोग की सिफारिशों को क्रियान्वित करने के लिए इस आयोग की स्थापना की गयी। 1956 ई. में संसद के अधिनियम के द्वारा आयोग को स्वायत्ता पूर्ण परिनियम पद दे दिया गया।

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