दिनाँक 21-11-2012 की प्रार्थना सभा
आज की प्रार्थना सभा के प्रमुख विवेचनीय अंश --
(1) आज का समाचार दर्शन - कक्षा 11 वीं के छात्र दिनेश कुमार द्वारा
अन्तर्राष्टृीय,राष्टृीय,क्षेत्रीय तथा खेल समाचारों का वाचन.
अन्तर्राष्टृीय,राष्टृीय,क्षेत्रीय तथा खेल समाचारों का वाचन.
(2) जीवन दर्शन- कक्षा 12 वीं वर्ग मानविकी की छात्रा वर्षा शर्मा द्वारा
आज के आदर्श पाठ का वाचन किया गया.-
भौतिक सुविधाएँ और अपार धन संपदा जुटा लेना ही जीवन की सफलता नहीं है.किसी भी प्रकार से प्रतिष्ठता प्राप्त कर लेना,येन केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त कर अपनी धाक जमा लेना सफलता नहीं है.आप जो भी करनें में सक्षम है,ऊसे पूरी क्षमता और लगन से करें.प्रत्येक मानव शरीर में ईश्वर द्वारा प्रदत्त कोई ना कोई आलौकिक शक्ति होती है.ऊस दैवीय गुण को पहचान कर ऊसी के अनुरूप सत्य कर्म कर प्राप्त की गई सफलता ही सर्वोत्तम सफलता है. यही विवेक है,यही मानव बुद्धि का सर्वोपरि उपयोग है.यही आत्म संतोष प्राप्त करनें का सर्वोच्च साधना पथ है.जिस प्रकार हम दूसरों के सामनें अपनी पहचान बना लेते हैं वह आपकी प्रतिष्ठा है.जिस प्रकार आप दूसरों के समक्ष प्रस्तुत होते हैं, व्यवहार करते हैं वही आपका चरित्र है. प्रतिष्ठा तथा चरित्र में सदैव चरित्र को अधिक महत्तव दें.विध्यार्थी जीवन में सद चरित्र के निर्माण हेतु केवल 3 व्यवहारिक मंत्र है- कभी भी झूठा बहाना नहीं बनाएँ,कभी भी अपनी शिकायत की स्थिति मत बननें दें तथा कभी भी रोओ मत अपनें मन का संताप,पीड़ा अथवा दुख को छुपाएँ नहीं ,ऊसे अपनें साथीगणों अथवा गुरू जनों से कह दें.इसी प्रकार अपनी विध्यालयी प्रतिष्ठा के लिए भी 3 व्यवहारिक मंत्र अपना लीजिए - कभी भी किसी भी विध्यालयी गतिविधि में देर नहीं करें तथा प्रत्येक गतिविधि में य़था संभव भाग लेनें को स्वयं को तैयार रखो, सदैव स्वयं को साफ सुथरा रखे तथा हँसमुख रहें, विध्यालयी नियमों का कभी भी उल्लघंन नहीं करें. बस इन साधारण से गुणों को अपनें जीवन में ऊतार लें. शेष रहा आपका कर्म क्षेत्र अस्तु कक्षा अध्ययन एवम स्वाध्याय को कभी भी विस्मृत ना करें, आपकी सफलता 100 प्रतिशत सुनिश्चित है.
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आज के आदर्श पाठ का वाचन किया गया.-
भौतिक सुविधाएँ और अपार धन संपदा जुटा लेना ही जीवन की सफलता नहीं है.किसी भी प्रकार से प्रतिष्ठता प्राप्त कर लेना,येन केन प्रकारेण सत्ता प्राप्त कर अपनी धाक जमा लेना सफलता नहीं है.आप जो भी करनें में सक्षम है,ऊसे पूरी क्षमता और लगन से करें.प्रत्येक मानव शरीर में ईश्वर द्वारा प्रदत्त कोई ना कोई आलौकिक शक्ति होती है.ऊस दैवीय गुण को पहचान कर ऊसी के अनुरूप सत्य कर्म कर प्राप्त की गई सफलता ही सर्वोत्तम सफलता है. यही विवेक है,यही मानव बुद्धि का सर्वोपरि उपयोग है.यही आत्म संतोष प्राप्त करनें का सर्वोच्च साधना पथ है.जिस प्रकार हम दूसरों के सामनें अपनी पहचान बना लेते हैं वह आपकी प्रतिष्ठा है.जिस प्रकार आप दूसरों के समक्ष प्रस्तुत होते हैं, व्यवहार करते हैं वही आपका चरित्र है. प्रतिष्ठा तथा चरित्र में सदैव चरित्र को अधिक महत्तव दें.विध्यार्थी जीवन में सद चरित्र के निर्माण हेतु केवल 3 व्यवहारिक मंत्र है- कभी भी झूठा बहाना नहीं बनाएँ,कभी भी अपनी शिकायत की स्थिति मत बननें दें तथा कभी भी रोओ मत अपनें मन का संताप,पीड़ा अथवा दुख को छुपाएँ नहीं ,ऊसे अपनें साथीगणों अथवा गुरू जनों से कह दें.इसी प्रकार अपनी विध्यालयी प्रतिष्ठा के लिए भी 3 व्यवहारिक मंत्र अपना लीजिए - कभी भी किसी भी विध्यालयी गतिविधि में देर नहीं करें तथा प्रत्येक गतिविधि में य़था संभव भाग लेनें को स्वयं को तैयार रखो, सदैव स्वयं को साफ सुथरा रखे तथा हँसमुख रहें, विध्यालयी नियमों का कभी भी उल्लघंन नहीं करें. बस इन साधारण से गुणों को अपनें जीवन में ऊतार लें. शेष रहा आपका कर्म क्षेत्र अस्तु कक्षा अध्ययन एवम स्वाध्याय को कभी भी विस्मृत ना करें, आपकी सफलता 100 प्रतिशत सुनिश्चित है.
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(3) सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी -
1.राम स्नेही सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर - श्री राम चरण जी महाराज.
2.राम स्नेही सम्प्रदाय की मुख्य पीठ कहाँ है ?
उत्तर - शाहपुरा (जिला भीलवाड़ा).
3.मैगजीन का किला कहाँ है तथा किसनें बनवाया ?
उत्तर - अजमेर में है तथा अकबर नें इसे बनवाया था.
4.राज्य प्रशासन का सर्वोच्च पद कौनसा है ?
उत्तर - मुख्य सचिव
5.भारत में बगीचों एवम फव्वारों का निर्माण किस राजवंश के समय
से प्रारम्भ माना जाता है ?
उत्तर - मुगल राजवंश
6.राजा राम मोहन राय को राजा की उपाधि किसनें दी थी ?
उत्तर - अकबर द्वितीय नें.
7.फ्राँस की क्रान्ति का "मोटो" क्या था ?
उत्तर - समानता, स्वतंत्रता एवम बंधुत्तव.
8.रूधिर में पाए जानें वाले दो मुख्य घटक कौनसे है ?
उत्तर - प्लाज्मा एवम रूधिराणु.
9.रूधिर का कितना प्रतिशत भाग प्लाज्मा होता है ?
उत्तर - 60 प्रतिशत एवम शेष 40 प्रतिशत रूधिराणु.
10.रूधिर में पाए जानें वाले रूधिराणु कौन कौनसे है ?
उत्तर - 3 प्रकार के 1.लाल रक्ताणु 2.श्वेत रक्ताणु 3 रक्त बिम्बाणु
( रूधिर प्लेटस)
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कक्षा 12 मानविकी वर्ग के छात्र रवि कुमार द्वारा नित्य प्रतिज्ञा
का सामूहिक वाचन.
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सभी छात्र -छात्राओं द्वारा स्टाफ सदस्यों के साथ राष्टृगान का गायन.
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8.रूधिर में पाए जानें वाले दो मुख्य घटक कौनसे है ?
उत्तर - प्लाज्मा एवम रूधिराणु.
9.रूधिर का कितना प्रतिशत भाग प्लाज्मा होता है ?
उत्तर - 60 प्रतिशत एवम शेष 40 प्रतिशत रूधिराणु.
10.रूधिर में पाए जानें वाले रूधिराणु कौन कौनसे है ?
उत्तर - 3 प्रकार के 1.लाल रक्ताणु 2.श्वेत रक्ताणु 3 रक्त बिम्बाणु
( रूधिर प्लेटस)
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कक्षा 12 मानविकी वर्ग के छात्र रवि कुमार द्वारा नित्य प्रतिज्ञा
का सामूहिक वाचन.
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सभी छात्र -छात्राओं द्वारा स्टाफ सदस्यों के साथ राष्टृगान का गायन.
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