विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा
विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा(E)
प्रथम शाला भवन
प्रथम शाला भवन श्रीमान जैसराज जीवण मल गाड़ोदिया द्वारा ग्राम राम को प्रदत्त धर्मशाला भवन था जिसे 1931-32 के प्रथम वैधानिक पाठशाला के रूप में पुनर्स्थापित किया गया था. पाठशाला का नाम श्री दरबार लोअर प्राईमरी हिन्दी पाठशाला के संज्ञा नाम से था. 1931-32 के सत्र से लेकर 1951 के उत्तर्रार्द्ध तक विध्यालय इसी भवन म्ं संचालित रहा, 1950 जून माह तक ग्राम के ऐक अन्य प्रवासी अग्रवाल परिवार मानावत किंवा बद्रुका के वंश दीपक श्रीमान बंकट लाल जी द्वारा नव निर्मित भवन में विध्यालय को स्थानान्तरित कर दिया गया था. इस भवन को 1951 में शाला से सहबद्ध छात्रावास के रूप में अंगीकृत रखा गया.
डीडवाना रोड़ के पश्चिमी पार्श्व में स्थित प्रथम पाठशाला
जो 1951 के पश्चात विध्यालय के छात्रावास के रूप में
श्री जीवन छात्रावास के नाम से सहबद्ध संस्था है.
भवन का मध्य कक्ष जिसके आगे मेहराबदार बारामदा है,यह
छात्रावास के संचालक (वार्डन) का आवासीय कक्ष था.----
छात्रावास का वाम पक्ष जिसमें एक दूसरे के आमनें सामनें
खुलते 2,2 अर्थात कुल चार कक्ष है. मध्य में एक विस्तृत
हॅाल (पर्शाल) है.----
छात्रावास का दायाँ पक्ष जिसमें एक दूसरे के आमनें सामनें
खुलते 2,2 अर्थात कुल चार कक्ष है. मध्य में एक विस्तृत
हॅाल (पर्शाल) है.----
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