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मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

विविधा

                       विविधा

विविधा में प्रस्तुत किए जाऐंगे विध्यालयी पाठ्यक्रम से इतर ज्ञानवर्द्धक एवम मनोरंजन पूर्ण लेख, आलेख, विलेख एवम जीवन के सभी पक्षों का दर्शन करवानें वाली बातें.

       राजस्थान में रेल सेवाओं का इतिहास   
भारत में रेल सेवा के प्रारम्भ होनें के एक दशक पूर्व ही कम्पनी सरकार नें अपनें सामरिक एवम व्यापारिक हितों को साधनें के निमित्त भरतपुर से आगरा के मध्य रेल लाईन बिछानें की संभावनाओं का सर्वेक्षण कर चुकी थी. भरतपुर के तत्कालीन शासक बलवंत सिंह नें इस सुविधा को यातायात के उपागम के तौर पर महत्त्वपूर्ण मानते हुए अपनी सहमति भी प्रदान कर दी थी. उन्होनें तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड एलनबरो को एक सहमति का पत्र भी लिखा था. ज्ञात तथ्य यह भी है कि लार्ड नें एक वाष्प इंजन का मॅाडल भी महाराजा को भेंट स्वरूप भेजा था. इसी मध्य एलनबरो के स्थान पर लार्ड हेस्टिंग्ज की नियुक्ति की गवर्नर जनरल के पद पर हो गई. तथापि रेल योजना पर कार्य होता रहा एवम राजस्थान या तत्कालीन राजपूताना में सर्व प्रथम रेल्वे लाईन भरतपुर तथा आगरा फोर्ट के मध्य डाली गई तथा इसी लाईन पर प्रथम रेलगाड़ी 11 अगस्त 1873 में चली थी. यह रेल मार्ग 35.18 मील लम्बा था. इसके पश्चात धौलपुर एवम बाड़ी कस्बे के मध्य नैरो गैज रेलवे लाईन डाली गई. 1912 में इसे तांतपुर तक बढ़ा दिया गया. धौलपुर से मथुरा तक इस लाईन पर आज भी गतिमान है. 1906 तक राजस्थान में कुल रेल मार्ग की लम्बाई 1576 माइल्स बढ़ चुकी थी. इसमें से 48 मील का मार्ग बॅार्डगैज भी था. सन् 1901 तक सैकण्ड क्लास,इंटर तथा तृतीय क्लास के डिब्बों में शौचालय सुविधा नहीं थी. डिब्बों में रोशनी के लिए भी 1905 तक गैस बर्नर्स का प्रयोग होता था. ब्लाक लाइटिंग की सेवा 1924 में प्रारम्भ हुई.

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