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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा

     विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा (C) 

तत्कालीन शिक्षा विभाग के नियमें का हमें कोई स्त्रोत ज्ञातनहींहै,विशेषकर देशी रियासतों में.ज्ञात रहे अंग्रजी प्रभुत्तव काल में राजपूतानें की सभी 19 रियायतों एवम 3 रजवाड़ों की अंग्रजी प्रशासन से सहायक सन्धियाँ हुई थी,कोई भी रियासत सीधे अंग्रेजों के अधीन नहीं होकर रेजिडेंटों के माध्यम से अप्रत्यक्ष शासित हो रही थी.अलबत्ता अजमेर तथा आबू सीधे अंग्रेजों के अधीन थे. अजमेर मे ए.जी.जी. ( एजेण्ट टू गवर्नर जनरल ) का मुख्यालय था जबकि आबू ए.जी.जी. का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय था. इसी कारण से समकालीन राष्टृीय आन्दोलन जो कि गाँधी के नेतृत्व में चल रहा था उसका राजपूतानें के साथ सीधा सम्बध नहीं था. 1938 के वर्धा के वार्षिक अधिवेशन में काँग्रेस नें देशी रियासतों में राष्टृीय आन्दोलन की गूँज पहुँचानें के लिए देशी रियासतों के जनवादी तथा राष्टृवादी प्रतिनिधियों को निमंत्रित किया था. इसके पश्चात देशी रियासतों में जनतंत्रीय स्वरूप पर आधारित प्रजा मण्डल स्थापित किए गए थे यध्यपि कतिपय रियासतों जैसे की कोटा आदि में यह प्रक्रिया पूर्व में ही प्रारम्भ हो चुकी थी. मीठड़ी ग्राम मारवाड़ रियासत अथवा जोधपुर स्टेट के अंतर्गत आता था. मारवाड़ राज्य के प्रतिनिधि के रूप में श्री जय नारायण व्यास नें इस सम्मेलन में भाग लिया था जिन्होनें 1920 में मारवाड़ हितकारिणी परिषद की स्थापना जोधपुर में की थी जो संभवत इस रियासत की प्रथम जनवादी संस्था थी. उक्त परिषद के साथ ग्राम के किसी भी प्रकार के सम्बन्धों की जानकारी का कोई भी साक्ष्य हमें ज्ञात नहीं होता है हालांकि ग्राम के बद्रूका परिवार के साथ जोधपुर नरेश के मधुर समन्धों का उल्लेख हमें अवश्य प्राप्त होता है, बद्रूका परिवार हैदराबाद दक्षिण में अपनें वाणिज्यिक साम्राज्य के कारण न केवल मारवाड़ अपितु दक्षिण के निजाम स्टेट में समादरित था. वस्तुत व्यास जी के द्वारा स्थापित सभा को शीघ्र ही जोधपुर महाराजा द्वारा स्वीकृति भी प्राप्त हो गयी .सभा का मूल सिद्धाँत था मारवाड़ और मारवाड़ी तथापि लोकतांत्रिक गतिविधियोंके कारण 1924 में सभा पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 1938 में उन्होनें जोधपुर प्रजा मण्डल की स्थापना की एवम दो अन्य संस्थाएँ भी स्थापित की गई प्रथम मारवाड़ युवा परिषद तथा मारवाड़ लोक परिषद. जब उन्हें जोधपुर रियासत में प्रतिबंधित कर दिया गया तब अजमेर से अपना आन्दोलन जारी रखा. स्वतंत्र भारत में राजस्थान एकीकरण से पूर्व श्री व्यास को ही 3 मार्च 1948 को जोधपुर रियासत का प्रधानमंत्री मनोनीत किया गया था,इस पद पर वे 7 अप्रेल 1949 तक कार्य करते रहे क्योंकि तब तक वृहत राजस्थान के निर्माण में जोधपुर राज्य सम्मिलित हो गया था. इस संपूर्ण अवधि में ग्राम की गतिविधियों की जानकारी का कोई स्त्रोत नहीं है.

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