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बुधवार, 7 नवंबर 2012

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा

       पाठशाला की स्थापना का आदि चरण (B)

शाला के ऐक पुरानें रजिस्टर ( जो शायद संयोग वश या हमारे भाग्य वश जीर्ण शीर्ण अवस्था में मिला है.) में दर्ज ऐक जानकारी विध्यालय के प्रारम्भ होनें की सांगोपांग जानकारी प्रदान करती है-
           " पाठशाला का श्री गणेश प्रथम जुलाई 1932 का विधिवत रूप से हुआ. जिला शिक्षणालय नागौर द्वारा नियुक्त अध्यापक श्री मेघराज जी शर्मा नें कार्य भार सँभाला. शाला की शुरूआत पहली तथा दूसरी अर्थात दो कक्षाओं से हुई. पूर्व से तनिक अक्षर ज्ञान रखनें वाले बालकों को दूसरी  कक्षा में तथा बाकी  को पहली कक्षा में बैठाया गया. ईस प्रकार दो कक्षाओं के 39  बालकों से इस पाठशाला का प्रारम्भ हुआ था."
                      1932 से 1936 तक पाठशाला के प्रबँधन तथा अध्यापन का संपूर्ण उत्तरदायितव श्री मेघ राज जी शर्मा पर ही रहा. रिकार्ड पंजिका में श्रीमान का वेतन 32 रूपए मासिक दर्ज है.1936-1937 में जब विश्व राजनीति यूरोपीय देशों की परस्पर औपनिवेशिक हितों के कारण ऐक और महायुद्ध की दहलीज पर खड़ी थी वहीं राष्टृीय राजनीतिक परिवेश में 1935 के भारत सरकार अधिनियम के पश्चात 11 प्रांतों में चुनाव प्रक्रिया से भारतीय जन मानस लोकतंत्र का प्रारम्भिक प्रशिक्षण ले रहा था,तब राजपूतानें के मारवाड़ राज्य का यह ग्रामीण क्षेत्र राजनीति प्रपंचों से दूर शिक्षा के माध्यम से नई दुनिया की हल्की सी किरण देखनें का प्रयास कर रहा था.1 जुलाई 1937 को शाला में  द्वितीय अध्यापक श्री किशन पुत्र श्री गंगा राम जी शर्मा की नियुक्ति हुई. इनका वेतन 28 रूपए मासिक लिखा हुआ है. श्री मेघराज शर्मा प्रधानाध्यापक के पद को सम्भाल रहे थे वहीं श्री किशन शर्मा सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे.

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