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गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा

विध्यालय के भौतिक एवम् शैक्षिक विकास की गाथा (H)

                    सत्रावधि 1941-42 से1944-45
1941-42 के नव सत्रारम्भ पर प्राथमिक कक्षाओं के लिए आनुपातिक रूप से शाला स्टॉफ में अध्यापकों की संख्या पाँच हो गई. पूर्व सत्र के अंत में कार्यरत रहे तीन अध्यापक यथावत रहे इसके अतिरिक्त दो नए अध्यापकों की नियुक्ति के साथ अध्यापक पदों की संख्या पाँच हो गई. इस प्रकार सत्र 1941-1942 के शाला स्टॉफ का विवरण निम्नानुसार बनता है - 
                                सत्र 1941-1942.
         1.प्रधानाध्यापक - श्री लायक राम शर्मा- वेतन 48 रूपए मासिक.
         2.सहायक अध्यापक  - श्री मुकन दास - वेतन 31 रूपए मासिक.
         3.सहायक अध्यापक  - श्री मोतीलाल - वेतन 29 रूपए
         4.सहायक अध्यापक - श्री बीरबल सिंह पुत्र श्री सूरज मल
                                         (नव नियुक्ति,वेतन 20 रूपए मासिक)
         5.सहायक अध्यापक - श्री हरीशरण पुत्र श्री देवीराम
                                         (नव नियुक्ति, वेतन 38 रूपए मासिक). 
इस प्रकार अध्यापकों के पदों में हो रही निरन्तर वृद्धि इस तथ्य का भी प्रतीक है कि पाठशाला में अध्ययन करनें वाले छात्रों की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी हो रही थी. ज्ञात तथ्य यह भी है कि इस सत्र में कक्षा प्रथम से लेकर पंचम् तक विध्यार्थियों की संख्या तत्कालीन मापदण्दों से अधिक चल रही थी. निश्चय ही पराधीन भारत के उस दौर में भी ग्राम जनों एवम् समीपस्थ गाँवों के ग्रामीण भी  शिक्षा के प्रति जागरूक रहे थे. 1942-43 में उक्त स्टॉफ ही कार्यरत रहा. 8 अगस्त 1942 को तत्कालीन बोम्बे के ग्वालियर टैंक मैदान में अरूणा आसफ अली नें राष्टृीय ध्वज पहरा कर भारत छोड़ो आन्दोलन का शंखनाद कर दिया था. एक दृष्टि से गाँधी जी नें इस आन्दोलन में करो या मरो का मूल मंत्र देकर एक तरह से भारतीयों को किसी भी कीमत पर स्वतंत्रता प्राप्ति का आह्वान कर दिया गया था. यह एक तरह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कथित अतिवादी स्वरूप को मौन सहमति थी. हमें एसा कोई तथ्य ज्ञात नहीं है कि इस आन्दोलन के समय देशी रियासतों के इस ग्रामीण परिवेश पर क्या प्रभाव पड़ा था. तथापि यह मान्य तथ्य है कि राष्टृीय घटनाक्रमों की जानकारी का एक मात्र स्त्रोत अध्यापक गण ही थे जिनके पास संध्या भोजन के बाद ग्रामीणों की प्रायकर बैठकें जमती थी.
                      सत्र 1942- 1943 का शाला स्टॉफ
          1.प्रधानाध्यापक - श्री लायक राम शर्मा- वेतन 48 रूपए मासिक.
          2.सहायक अध्यापक - श्री मुकन दास - वेतन 31 रूपए मासिक.
          3.सहायक अध्याप - श्री मोतीलाल - वेतन 29 रूपए मासिक.
          4.सहायक अध्यापक - श्री बीरबल सिंह पुत्र श्री सूरज म
                                         (नव नियुक्ति,वेतन 20 रूपए मासिक)
          5.सहायक अध्यापक  - श्री हरीशरण पुत्र श्री देवीराम
                                      (नव नियुक्ति, वेतन 38 रूपए मासिक).
                          सत्र 1943-44 का शाला स्टॉफ
सत्र 1943-1944 में तीन अध्यापकों का स्थान्नतरण के पश्चात तीन अध्यापकों का स्टॉफ ही कार्यरत रहा. पूर्व सत्र में कार्यरत रहे श्री लायक राम शर्मा (प्रधानाध्यापक) सहित दो अन्य सहायक अध्यापक जनों - श्री मुकन दास एवम् श्री मोतीलाल सहित तीन कार्मकों का स्थानान्तरण अन्यत्र हो गया वहीं विध्यालय में एक सहायक अध्यापक की नियुक्ति के साथ स्टॉफ सदस्यों की संख्या तीन रही. नव पदास्थापित सहायक अध्यापक श्री भँवर लाल पुत्र श्री नारायण लाल थे. इस प्रकार सत्र 1943-1944 का पाठशाला स्टॉफ निम्नानुसार रहा -
         1.श्री बीरबल सिंह - प्रधानाध्यापक - वेतन 43 रूपए मासिक.
         2.श्री हरिशरण - सहायक अध्यापक - वेतन 39 रूपए मासिक.
         3.श्री भँवर लाल - सहायक अध्यापक - वेतन 40 रूपए मासिक. 

                               सत्र 1944-1945 में शाला स्टॉफ
 सत्र 1944-1945 में पाठशाला में एक सहायक अध्यापक की नियुक्ति नव सत्रारम्भ अर्थात जुलाई 1944 में जिला शिक्षणालय नागौर के द्वारा कर दी गई. नवागंतुक अध्यापक का नाम श्री हस्तीमल पुत्र श्री पुखराज, जिनके नियुक्ति आदेश में उनका स्टॉफ संख्यांक 2334 दर्ज है.इस प्रकार सत्र 1944-1945 में संपूर्ण शाला स्टॉफ का विवरण निम्नानुसार लिखा जा सकता है - 
         1.श्री बीरबल सिंह - प्रधानाध्यापक - वेतन 43 रूपए मासिक.
         2.श्री हरिशरण - सहायक अध्यापक - वेतन 39 रूपए मासिक.
         3.श्री भँवर लाल - सहायक अध्यापक - वेतन 40 रूपए मासिक. 
         4.श्री हस्तीमल पुत्र श्री पुखराज - नव नियुक्त सहायक अध्यापक.
                                  (स्टॉफ संख्यांक - 2334,वेतन 35 रूपए मासिक)
बम्बई (मुम्बई) की सड़कों पर नारी शक्ति का पैदल मार्च,भारत छोड़ो आन्दोलन.

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